Goat Farming
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चलता फिरती फ्रिज है ये! उपमाता भी कहलाती है!! गरीब का तो ए टी एम मानी जाती है !!!
चौंकिए मत हम गाँव-गली-मोहल्ले में बड़ी सादगी से घूमती फिरती मिल जाने वाली प्राणी बकरी की बात कर रहे हैं। दुनिया भर में इसने अपने हुनर के झंडे गाड़ रखे हैं। अर्थशास्त्री तो मानते हैं कि बकरी गरीबों के विकास का बेहद कारगर जरिया हो सकती है। बेरोजगारी से मुकाबला हो या मुनाफा कमाने का इरादा, बकरी पालन हर तरीके से कारगर है।
काफी कम लागत में अच्छा फायदा बकरी पालन की खास बात है। बकरी पालन की विशेषता ये है कि अन्य मिलते जुलते व्यवसायों के मुकाबले ये ज्यादा सरल है। इसके लिए जटिल प्रक्रिया की जरूरत भी नहीं है। गाँव में तो छोटे स्तर पर इसे बिना किसी विशेष तैयारी के भी शुरू किया जा सकता है। और तो और गाय भैंस पालन की तुलना में बकरी पालन में आमदनी ज्यादा तेजी से बढ़ती है।
बकरी पालन से आजीविका तो चलायी ही जा सकती है साथ ही थोड़ी मेहनत कर अच्छा मुनाफा भी कमाया जा सकता है। व्यावसायिक बकरी पालन व्यावसायिक नियमों से किया जाता है जो सामान्य शौकिया बकरी पालन से थोड़ा भिन्न और अधिक व्यवस्थित होता है।
बकरी पालन दूध के लिए अथवा इसके मांस (Chevon) के लिए अथवा दोनों के लिए ही किया जा सकता है। बकरी की खाल चमड़ा उद्योग का महत्वपूर्ण हिस्सा है। ठंडे क्षेत्रों (जैसे लद्दाख, कश्मीर) में बकरियाँ ऊन के लिए भी पाली जाती हैं। पहाड़ों में इनका उपयोग बोझा ढोने के लिए भी किया जाता है।
बकरी पालन को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने कई योजनायें भी चला रखी हैं ।
बकरी पालन के कुछ फायदे इस प्रकार हैं:
बकरी पालन रोजगार का एक अच्छा साधन है।
बकरी एक छोटी और सीधी पशु है जो पालने में आसान है।ये मनुष्यों के साथ सुखपूर्वक रह लेती हैं।
बकरी कम दाम में और आसानी से मिल जाती हैं।
बकरी का घर बनाना आसान है।
इसमें लागत कम लगती है और रख रखाव आसान होता है।
अधिक जगह की जरूरत नहीं पड़ती।
बकरियों की प्रजनन दर अच्छी होती है।
बकरी पालन में जोखिम भी कम हैं।
बाजार में नर और मादा बकरी लगभग एक ही दाम पर मिलते और बिकते हैं।
अन्य पालतू पशुओं के मुकाबले बकरियों में कम बीमारियाँ होती हैं और ये आसानी से विभिन्न वातावरणों के अनुकूल ढल जाती हैं।
सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भी बकरी पालन आसानी से किया जा सकता है।
इन्हे अन्य पशु पक्षियों के साथ भी पाला जा सकता है।
बकरियाँ काँटेदार झाड़ियों सहित काफी तरह की घास आदि चर लेती हैं। कई बार इनका उपयोग जैविक तरीके से झाड़ियों के नियंत्रण के लिए किया जाता है।
बकरी उत्पाद स्वास्थ्यवर्धक और सुपाच्य होते हैं।
बकरी का दूध मनुष्य के लिए विशेष उपयोगी और औषधीय गुणों से युक्त होता है इसलिए बकरी को केई बार ‘उपमाता’ भी कहा जाता है।
बकरी को दिन में कभी भी दुहा जा सकता है इसलिए इसे चलता फिरता फ्रिज भी कहते हैं।
बकरी के संहार और मांस को लेकर सामाजिक प्रतिरोध नहीं हैं।
बकरी का मांस अपने स्वाद और पोषण तत्वों के लिए प्रसिद्ध है।
बकरी से चमड़ा और ऊन भी प्राप्त होता है।
बकरी का मल अच्छी खाद के रूप में उपयोगी है ।
अन्य पालतू पशुओं (गाय,भैंस) के मुकाबले इनसे आय दर बेहतर है।
बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसे हर श्रेणी का व्यक्ति कर सकता है। स्त्री, पुरुष, पढ़ा लिखा व्यक्ति या कम पढ़ा-लिखा व्यक्ति – चाहे तो कोई भी व्यक्ति इस कार्य को सफलतापूर्वक कर सकता है। चूंकि बकरी पालन में लागत बहुत नहीं लगती इसलिए कम संसाधनों से भी इसे शुरू किया जा सकता है। जिनके पास कम पूंजी है वो भी इस व्यवसाय को आसानी से कर सकते हैं ।
बकरी पालन की विधिवत जानकारी प्राप्त करें
बकरी पालन यूं तो बहुत सरल है किन्तु अच्छा होगा कि इसमें अपना समय, श्रम और धन निवेश करने से पहले मूलभूत प्रशिक्षण ले लें। अच्छा होगा कि अपने निकटतम कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर बकरीपालन ट्रेनिंग संबंधी जानकारी ले लें। लगभग दस दिनों का ये आधारभूत प्रशिक्षण बकरी पालन में सफलता के लिए उपयोगी होगा। ऐसे प्रशिक्षण से प्राप्त सर्टिफिकेट बैंक लोन, सब्सिडी आदि पाने में भी लाभकारी होगा। केन्द्रीय बकरी अनुसंधान केंद्र, स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र, पशुचिकित्सा संस्थान, आदि वो स्थान हैं जहां से बकरी पालन संबंधी प्रामाणिक जानकारी और प्रशिक्षण प्राप्त किया जा सकता है।
बकरी पालन के संबंध में प्रशिक्षण से लेकर बकरीपालन की व्यवस्था करने तक की प्रामाणिक जानकारी के लिए आप अग्रिकाश (Agrikaash) के कार्यालय से भी संपर्क कर सकते हैं। हमारा संपर्क फोन नंबर है. 9936358982 & 8448998942। आप हमें info@agrikaash.com पर ईमेल भी कर सकते हैं।
जानकारियाँ-
ट्रैनिंग के मुख्य संस्थान-
क) मथुरा स्थित केंद्रीय बकरी अनुसन्धान संस्थान (CIRG, Mathura, http://www.cirg.res.in) में बकरी पालन का समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है। इच्छुक किसान इस नंबर पर कर सकते हैं संपर्क :- फोन नं 0565-2763380
ख) भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र (https://icar.org.in) से भी बकरी पालन संबंधी जानकारी मिल सकती है।
ग) कृषि विज्ञान केंद्र: ये वो संस्थाएं हैं जो किसानों को प्रशिक्षण देने से लेकर विभिन्न कृषि उत्पादन प्रणालियों को खेतों में अपनाने तक के लिए कार्य करती हैं। कृषि विकास के लिए जिला स्तर तक काम करने वाली इन संस्थाओं के बारे में हर कृषि उद्यमी को जानकारी होनी चाहिए, ताकि वह इससे लाभ उठा सके।कृषि विज्ञान पोर्टल (http://kvk.icar.gov.in) से किसान अपने जिले में स्थित केवीके के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।बकरी पाने के मुख्य स्रोत – यदि बकरियों की नस्ल के संबंध में विशेष योजना ना हो तो अपने आस पास के क्षेत्र की बकरियाँ प्राप्त करना बेहतर होगा। ये बकारियाँ आसानी से मिल जाएंगी और क्षेत्र के वातावरण के अनुकूल भी होंगीं । नस्ल विशेष की बकरियों को उनके मूल क्षेत्र से प्राप्त करना ज्यादा उचित रहता है- जैसे जमुनापरी बकरी इटावा क्षेत्र से और ब्लैक बंगाल बकरी पश्चिम बंगाल या झारखंड से। बकरी अपने या अन्य इलाकों के बकरी बाजार (मंडी) से भी प्राप्त की जा सकती है।
बकरी मंडियाँ – ये हैं बकरियों की बड़ी मंडियाँ-
देओनर (मुंबई),
जसवंतनगर (उत्तर प्रदेश),
कालपी (मध्य प्रदेश),
महुआ (राजस्थान) और
मेवात (हरियाणा)
इन बकरी मंडियों से देश में ही नहीं विदेशों में भी बकरियाँ जाती हैं।
बकरी पालन के इच्छुक व्यक्ति को सबसे पहले बकरी पालन का प्रशिक्षण ले लेना चाहिए। प्रशिक्षण की व्यवस्था ना हो पाए तो किसी प्रशिक्षित या बकरी पालन में अनुभवी व्यक्ति से नियमित सलाह जरूर लें। इस उद्योग के लिए जिन मुख्य बातों पर ध्यान देना चाहिए वो हैं-
बकरी पालन का स्थान चयन और बकरीघर की व्यवस्था।
बकरी की प्रजाति का चयन।
बकरी के आहार की व्यवस्था।
बकरी के स्वास्थ्य रक्षा की व्यवस्था।
विपणन और हिसाब किताब रखना।
(वाराणसी जिले में चौबेपुर के निकट नरायनपुर गाँव में अग्रिकाश द्वारा संचालित ‘रमेदार बकरी फार्म’ जाकर आप कम खर्च से विकसित बकरी उद्यम को देख-समझ सकते हैं। आप चाहें तो यहाँ से अपने बकरी उद्यम के लिए मार्गनिर्देशन भी ले सकते हैं। ‘रमेदार बकरी फार्म’ का संपर्क नंबर 9936358982 & 8448998942 है।)